१
मेरी
ज़िन्दगी चाहे हम भौतिक रूप से एक-दूसरे से दूर चले जाएं, मगर एक अहसास के रूप में तुम हमेशा मेरे पास, मेरे साथ रहोगी। मेरी हर नई कविता में तुम्हारा चेहरा होगा, मेरी हर कहानी में तुम्हारी याद होगी, मेरे हर शब्द में तुम्हारा ख्याल छुपा होगा। तुम्हारी याद हर रात सपना बनकर मेरे साथ रहेगी और हर सुबह जीने का एक नया उत्साह बनकर मेरे मन में इंतज़ार का चिराग जलाती रहेगी। तुम्हारे इंतज़ार का चिराग मैं कभी बुझने नहीं दूँगा। वह रोशन रहेगा, हर पल, हर वर्ष और हर जन्म में।
तुमसे मैं और कुछ न चाहूँगा, पर इतना अवश्य कि कभी मेरी याद को अपने दिल से मिटने न देना। विरह के पलों में यही अहसास तो मुझे जीवन देगा कि चाहे हम दूर सही, मगर तुम मुझे चाहती हो, मुझे प्यार करती हो।
कभी मेरी याद में तुम्हारी आँखों में यदि आँसू की कोई बूंद छलछलाई तो तुम महसूस करोगी कि तुम्हारी पलक पर अपने अधर धरे मैं आँसू की उस बूंद को चूम रहा हूँ। और यह अहसास तुम्हें याद दिलाएगा कि हमारा मन से मन का बंधन अमर है।.........सागर
२
मेरी कविता,
तुम तक मेरे प्यार की रोशनी से भरी याद पहुँचे। रात सपने में रोशनी का शहजादा चांद अपने अंगरक्षक तारों के संग आया और बोला, गुस्ताख़ दिवाने, तुमने हमारी तुलना अपने महबूब से करने की गुस्ताख़ी की है इसलिए तुम्हें इस जुर्म की सजा मिलेगी। मैंने पूछा, क्या सजा मिलेगी? तो वह बोला, हम तुम्हारी ज़िन्दगी में अब कभी भी रोशनी नहीं करेंगे। मैंने कहा, ऐ रोशनी के शहजादे, यूँ अपने आप पर गुमान न करो। जाओ मुझे भी तुम्हारी जरूरत नहीं है। मेरे महबूब की यादों की रोशनी जब तक मेरी ज़िन्दगी में है, मुझे किसी और रोशनी की जरूरत ही नहीं है।
मेरी ज़िन्दगी की रोशनी, कब तक तुम साथ रहोगी? चांद की तरह चाहे दूर से ही मेरी ज़िन्दगी को रोशनी का सहारा देती रहना, मगर नज़रों के सामने रहना। चांद के समान कभी परिस्थितियों के बादलों में छुप न जाना।
आजकल एक तारे की तरह मैं अपने चांद को दूसर से देखता हूँ और मुस्कराता हूँ। आँसू बहाने या दुःख मनाने का हक तो तुमने मुझसे ले ही लिया है प्यार में। अब मैं तुम्हारी याद में अपने-आप को डूबो देना चाहता हूं।
आज एक बात मन में आई कवि कि भक्ति और प्यार में कोई खास अंतर नहीं है। अपने आराध्य की धुन में अपने अस्तित्व को भुला देना, यही तो मंज़िल है प्यार की और भक्ति की भी। इसीलिए तो मैं तुम्हें अपना ख़ुदा मानता हूँ। जिसकी इबादत में मैं हमेशा डुबा रहता हूँ।
और ख़ुदा को पाना कभी आसान हुआ है? बावजूद इसके कि हर आदमी में छुपा रहता है वह। तुम्हें पाना भी मुश्किल है मेरे ख़ुदा, मेरी मुहब्बत के ख़ुदा। बावजूद इसके कि तुम मेरे दिल में हो, दिल की धड़कनों में हो, हर साँस में हो।.......सागर
Tuesday 21 October, 2008
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14 comments:
नए चिट्ठे के साथ आपका स्वागत है.... हिन्दी चिट्ठाजगत में ....आशा है आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिट्ठा जगत को मजबूती देंगे.....हमारी शुभकामना आपके साथ है।
सुस्वागतम बधाइयां
खुल कर लिखें अच्छा लिखे
चिन्तन करें सिर्फ़ चिंता नहीं
सादर
भवदीय
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
वाह बहुत सुन्दर लिखा है। आपका स्वागत है।
खुशबू में बसे ख़त बहुत अच्छे हैं,
स्वागत है इन खतों की बानगी के संग
Sabse achha to mujhe blog kaa naam lagaa !Isliye naye chitthoki fehristse ise pehle chuna....khat ye shabd ek romanch jagata hai jo aake zamaneme nahee raha....Reh gaye SMS ya e-mails...short cutme likhe hue...
Ab wo khat sirf geetonme bas gaye.."Phool tumhen bheja ahi khatme...!" ya phir "Chanda re meree patiyan leja.." aur kitnehee...
Shubhechhaon sahit swagat hai.
Ek binateebhee...Ye word verification pls hata den!!
नए चिट्ठे के साथ ...
नई अलख जगाने के लिए
स्वागत है आपका..!
अच्छी शुरुवात.
यदि अन्यथा न लें तो... सेटिंग में कमेंट्स में जाकर वर्ड वेरिफिकेशन में no कर दे ताकि टिप्पणी देने में पाठकों को असुविधा न हो..
khat likh de sanvariya ke nam babu, ab to khat likhane wali bat koi soch bhee nahi sakta
माशाअल्लाह! सलामात रहो तुम सदा...सलामत रहे प्यार सदा...खुशबू बनके फिजाओं में रहो...रहे प्यार ही प्यार से भरी हर घटा...
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शुभकामनाएं.
परिचय न पा सका...पर ये कम नहीं कि तुम प्रेम पुजारी हो...दिल से आभार...शुभकामनाएं.
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अमित के. सागर
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!
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बहुत खूबसूरत लिखा है भाई..
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